मेरे लिए तो हर बजट एक बजट होता है, साल भर के लिए, न अच्छा न बुरा ।
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इसके आगे आप कुछ सोचते ही नहीं, न अच्छा न बुरा, दुनिया एकदम लीनियर हो जाती है.
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प्यार कब कहाँ और किस्से हो जाये नहीं पता चलता वो तो बस हो जाता है, न वो धरम देखता है न जात न बिरादरी, न अच्छा न बुरा...
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अबोध जी नमस्कार, प्यार कब कहाँ और किस्से हो जाये नहीं पता चलता वो तो बस हो जाता है, न वो धरम देखता है न जात न बिरादरी, न अच्छा न बुरा … और जो ये सब देख के किया जाये वो प्यार नहीं ….